मोदी सरकार का तोहफा: एक झटके में 4000 रुपये सस्ता हुआ सोना! जानें नए दाम Gold Rate Today
Gold Rate Today: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने अपना पहला बजट पेश किया है। इस बजट में सोने और चांदी से जुड़ा एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है, जिसका बाजार पर तुरंत प्रभाव देखने को मिला।
कस्टम ड्यूटी में कटौती
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में सोने और चांदी पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी को 10 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत करने की घोषणा की। इसमें 5 प्रतिशत बेसिक कस्टम ड्यूटी और 1 प्रतिशत कृषि बुनियादी ढांचा और विकास उपकर शामिल है।
सोने के दाम में गिरावट
इस घोषणा का तत्काल प्रभाव सोने की कीमतों पर देखने को मिला। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने का भाव करीब 4,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक गिर गया। बजट से पहले सोने का भाव 72,850 रुपये प्रति 10 ग्राम था, जो घोषणा के बाद 68,500 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया।
चांदी के दाम में भी कमी
चांदी की कीमतों में भी बड़ी गिरावट देखी गई। एमसीएक्स पर चांदी का भाव 89,015 रुपये प्रति किलोग्राम से गिरकर 84,275 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया, जो करीब 4,740 रुपये की कमी दर्शाता है।
अन्य धातुओं पर प्रभाव
सरकार ने प्लेटिनम पर लगने वाले शुल्क को भी कम करके 6.4 प्रतिशत कर दिया है। साथ ही, आयातित आभूषणों पर भी कस्टम ड्यूटी में कटौती की गई है।
सरकार के फैसले का उद्देश्य
इस कदम का उद्देश्य घरेलू कीमतों में कमी लाना और सोने की मांग को बढ़ावा देना है। पहले सोने और चांदी पर कुल 15 प्रतिशत शुल्क लगता था, जिसमें 10 प्रतिशत बेसिक कस्टम ड्यूटी और 5 प्रतिशत कृषि बुनियादी ढांचा विकास उपकर शामिल था।
बाजार पर प्रभाव
इस फैसले का तत्काल प्रभाव बाजार पर देखने को मिला। सोने और चांदी की कीमतों में अचानक गिरावट आई, जिससे निवेशकों और उपभोक्ताओं को राहत मिली है।
भविष्य में संभावित प्रभाव
• घरेलू कीमतों में कमी: कस्टम ड्यूटी में कटौती से घरेलू बाजार में सोने और चांदी की कीमतें कम हो सकती हैं।
• मांग में वृद्धि: कम कीमतों के कारण सोने और चांदी की मांग बढ़ सकती है।
• आभूषण उद्योग को बढ़ावा: कम कीमतों से आभूषण उद्योग को फायदा हो सकता है।
• तस्करी में कमी: कस्टम ड्यूटी कम होने से अवैध तरीके से सोने की तस्करी में कमी आ सकती है।
मोदी सरकार का यह फैसला सोने और चांदी के बाजार के लिए महत्वपूर्ण है। इससे न केवल कीमतों में कमी आएगी, बल्कि उपभोक्ताओं और निवेशकों को भी फायदा होगा। हालांकि, यह देखना होगा कि लंबे समय में इस फैसले का क्या प्रभाव पड़ता है और क्या यह सरकार के उद्देश्यों को पूरा करने में सफल होता है।