एक दिन में 14 घंटे, हफ्ते में 70 घंटे करना होगा काम? कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर Working hours new rule

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Working hours new rule: कर्नाटक सरकार एक ऐसे प्रस्ताव पर विचार कर रही है जो राज्य के IT क्षेत्र में काम करने वाले लाखों कर्मचारियों के जीवन को प्रभावित कर सकता है। यह प्रस्ताव IT कर्मचारियों के लिए काम के घंटों को बढ़ाकर प्रतिदिन 14 घंटे करने की बात करता है। आइए इस विवादास्पद प्रस्ताव के विभिन्न पहलुओं पर एक नज़र डालें।

प्रस्ताव का विवरण

कर्नाटक सरकार IT कर्मचारियों के लिए काम के घंटों को बढ़ाकर प्रतिदिन 14 घंटे करने पर विचार कर रही है। इसके लिए कर्नाटक शॉप्स एंड कमर्शियल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन की तैयारी चल रही है। राज्य के श्रम मंत्रालय ने इस संबंध में उद्योग के विभिन्न हितधारकों के साथ बैठकें भी की हैं।

वर्तमान नियम और प्रस्तावित बदलाव

मौजूदा नियमों के अनुसार, ओवरटाइम सहित एक दिन में अधिकतम 10 घंटे तक काम करने का प्रावधान है। नए प्रस्ताव के तहत यह सीमा बढ़ाकर 14 घंटे की जा सकती है, जिसका अर्थ है एक सप्ताह में 70 घंटे काम।

प्रस्ताव का संभावित प्रभाव

1. बेंगलुरु पर सर्वाधिक असर: बेंगलुरु भारत का सबसे बड़ा IT हब है, इसलिए इस प्रस्ताव का सबसे अधिक प्रभाव यहाँ के IT कर्मचारियों पर पड़ेगा।

2. नौकरियों पर खतरा: कर्नाटक IT/ITeS एम्प्लॉई यूनियन (KITU) का मानना है कि इस प्रस्ताव से कंपनियाँ मौजूदा तीन शिफ्ट को घटाकर दो शिफ्ट में काम करा सकती हैं, जिससे एक-तिहाई कर्मचारियों की नौकरियाँ खतरे में पड़ सकती हैं।

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3. स्वास्थ्य पर प्रभाव: लंबे समय तक काम करने से कर्मचारियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। KCCI की एक रिपोर्ट के अनुसार, IT क्षेत्र में काम करने वाले 45% कर्मचारी पहले से ही मानसिक तनाव और अवसाद की समस्या से जूझ रहे हैं।

4. उत्पादकता पर असर: KITU का कहना है कि दुनिया भर में चर्चा हो रही है कि काम के घंटे बढ़ने से उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

विरोध और चिंताएँ

इस प्रस्ताव का कई स्तरों पर विरोध हो रहा है:

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1. KITU ने इसे वर्तमान समय में कामकाजी वर्ग पर सबसे बड़ा हमला बताया है।

2. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक काम करने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं। WHO-ILO के एक अध्ययन में कहा गया है कि काम के घंटे बढ़ने से स्ट्रोक से मृत्यु का खतरा 35% तक बढ़ सकता है।

3. कई लोगों का मानना है कि यह प्रस्ताव कर्मचारियों के काम-जीवन संतुलन को बिगाड़ सकता है।

नारायण मूर्ति का बयान और विवाद

इस प्रस्ताव की चर्चा Infosys के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के एक पुराने बयान को भी याद दिला रही है। पिछले साल मूर्ति ने कहा था कि युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करना चाहिए। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर काफी विवादों में रहा था।

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कर्नाटक सरकार का यह प्रस्ताव IT क्षेत्र में एक बड़े बदलाव की ओर इशारा करता है। हालाँकि इसके लाभ और नुकसान दोनों हो सकते हैं। एक ओर जहाँ यह उत्पादकता बढ़ाने का एक प्रयास हो सकता है, वहीं दूसरी ओर इससे कर्मचारियों के स्वास्थ्य और काम-जीवन संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। सरकार को इस प्रस्ताव पर सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेना होगा। साथ ही, कर्मचारियों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करनी होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह प्रस्ताव किस रूप में सामने आता है और इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

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